चंडीगढ़ न्यूज़-2 जुलाई: हिमाचल में 17 जगह फटा बादल, 34 लोग लापता – मंडी में सबसे ज्यादा तबाही, सीएम सुक्खू ने किया स्याठी गांव का दौरा
हिमाचल प्रदेश में सोमवार रात भारी बारिश के बीच 17 अलग-अलग जगहों पर बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गईं। इसके चलते अब तक 34 लोग लापता बताए जा रहे हैं। लापता लोगों की तलाश में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें सर्च ऑपरेशन में जुटी हैं।
सबसे ज्यादा तबाही मंडी जिले में हुई है, जहां अकेले 16 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। इसके अलावा कुल्लू और किन्नौर जिले में भी बादल फटने की घटनाएं सामने आई हैं।
मंडी जिले के गोहर, थुनाग, जोगिंद्रनगर और करसोग उपमंडलों में जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। अकेले मंडी में 24 मकान और 12 गोशालाएं पूरी तरह से जमींदोज हो गईं, जबकि 30 से अधिक मवेशियों की मौत हुई है।
अब तक 332 से अधिक लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
सीएम ने प्रभावित गांव का दौरा किया
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बुधवार को मंडी जिले के लौंगणी पंचायत के स्याठी गांव का दौरा किया। उन्होंने प्रभावित परिवारों से मुलाकात कर दुख साझा किया और प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे राहत कार्यों की समीक्षा की।
सीएम ने बताया कि स्याठी गांव में भूस्खलन से 20 घर पूरी तरह तबाह हो गए हैं और 61 लोगों को समय रहते राहत शिविरों में सुरक्षित पहुंचाया गया है। प्रभावितों को 1.70 लाख रुपये की आर्थिक सहायता, राशन, तिरपाल और अन्य जरूरी सामग्री उपलब्ध करवाई गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार नुकसान के आकलन के बाद विशेष राहत पैकेज देगी और जिनका घर पूरी तरह से नष्ट हो गया है उन्हें दोबारा बसाया जाएगा। पशुधन और गोशालाओं के नुकसान के लिए भी बढ़ा हुआ मुआवजा दिया जाएगा।
मानसून से भारी तबाही
राज्य में 20 जून से 1 जुलाई के बीच बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाओं में अब तक 51 लोगों की जान जा चुकी है, 103 लोग घायल हुए हैं और 22 लोग अभी भी लापता हैं। प्रदेश को इस दौरान अब तक करीब 283 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है।
वैज्ञानिक अध्ययन की जरूरत
मुख्यमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन भी इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं का बड़ा कारण बन रहा है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से मिलकर इन घटनाओं के कारणों का वैज्ञानिक अध्ययन करवाने की जरूरत पर बल दिया।