चंडीगढ़ न्यूज़-7 जुलाई: दलाई लामा को भारत रत्न देने की मांग फिर हुई तेज, चीन की प्रतिक्रिया पर निगाहें
तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के 90वें जन्मदिन के बाद उन्हें भारत रत्न देने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है। भारत सरकार के दो वरिष्ठ मंत्रियों किरण रिजिजू और जितेंद्र सिंह ने हाल ही में उनसे मुलाकात की, जिससे अटकलें तेज हो गईं हैं कि भारत सरकार उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान कर सकती है।
भारत रत्न की चर्चा से चीन क्यों असहज?
दलाई लामा को लेकर चीन लंबे समय से संवेदनशील रहा है। 1959 में तिब्बत पर चीनी कब्जे के बाद जब दलाई लामा ने भारत में शरण ली थी, तब से बीजिंग उन्हें ‘अलगाववादी’ मानता आया है। ऐसे में अगर भारत उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करता है, तो यह चीन की “एक चीन नीति” के खिलाफ सीधी चुनौती मानी जा सकती है।
उत्तराधिकारी को लेकर बयान से भड़का चीन
हाल ही में दलाई लामा ने कहा कि उनका उत्तराधिकारी एक स्वतंत्र देश में जन्म लेगा और उसकी पहचान उनके निजी संगठन द्वारा की जाएगी, न कि बीजिंग द्वारा। चीन ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और पंचेन लामा की नियुक्ति के ज़रिए अपना रुख साफ कर दिया।
दलाई लामा के समर्थन में भारत की आवाज़
2021 के एक सर्वे में 62.4% भारतीयों ने दलाई लामा को नोबेल के साथ-साथ भारत रत्न देने की भी वकालत की थी। अभी हाल में 80 सांसदों ने ऑल पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम ऑन तिब्बत के तहत एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं जिसमें दलाई लामा को भारत रत्न दिए जाने की मांग की गई है।
चीन की संभावित प्रतिक्रिया क्या हो सकती है?
यदि भारत दलाई लामा को भारत रत्न से सम्मानित करता है, तो चीन कूटनीतिक विरोध दर्ज करा सकता है, व्यापारिक संबंधों में कटौती कर सकता है, या फिर सीमा पर तनाव बढ़ाने जैसे कदम भी उठा सकता है।