चंडीगढ़ न्यूज़-13 जुलाई: GST Impact on Shopping: सिर्फ MRP नहीं, टैक्स भी तय करता है आपकी जेब पर असर
आप जब भी शॉपिंग करते हैं, चाहे ऑनलाइन हो या मॉल से, आपकी कुल लागत केवल MRP और डिस्काउंट से तय नहीं होती — असली फर्क तो GST डालता है। अगर आपने GST स्ट्रक्चर को ठीक से समझ लिया, तो आप स्मार्ट शॉपिंग करके अच्छी-खासी बचत कर सकते हैं।
रेडीमेड कपड़ों पर GST कैसे लगता है?
रेडीमेड कपड़ों पर टैक्स उनकी कीमत पर निर्भर करता है।
999 रुपये तक के कपड़ों पर 5% GST
1000 रुपये या उससे ऊपर पर सीधे 12% GST
इसलिए अगली बार जब आप शर्ट या ड्रेस खरीदें, तो ध्यान रखें कि 999 रुपये की शर्ट पर टैक्स कम, लेकिन 1001 की शर्ट आपको महंगी पड़ सकती है।
बिना सिले कपड़े खरीदना फायदेमंद क्यों?
अगर आप बिना सिले कपड़े जैसे कॉटन, सिल्क या जॉर्जेट खरीदते हैं, तो आपके पैसे बच सकते हैं।
इन पर सिर्फ 5% GST लगता है, चाहे उनकी कीमत कुछ भी हो।
यानी, अगर आप दर्जी से सिलवाने का विकल्प चुनते हैं, तो स्टाइल के साथ-साथ बजट कंट्रोल भी रहेगा।
जूते-चप्पल की कीमत और टैक्स का कनेक्शन
1000 रुपये से कम के फुटवियर पर 5% GST
1000 रुपये से ज्यादा पर 12% GST
अगर फुटवियर सिंथेटिक, रबर, या प्लास्टिक से बना है, तो हर हालत में 12% टैक्स देना होगा, चाहे उसकी कीमत कुछ भी हो।
साड़ियों पर टैक्स क्यों अलग-अलग होता है?
सिंपल कॉटन या सिल्क साड़ी पर 5% GST
भारी कढ़ाई, सीक्विन या डिजाइनर साड़ी पर 12% तक टैक्स
तो साड़ी खरीदते समय सिर्फ डिज़ाइन ही नहीं, टैक्स रेट पर भी नजर डालें।
बच्चों के कपड़ों पर भी है टैक्स का असर
बच्चों के कपड़े या फुटवियर पर भी वही GST नियम लागू होते हैं:
999 रुपये तक – 5% टैक्स
1000 रुपये से ऊपर – 12% टैक्स
छोटा हो या बड़ा, टैक्स से कोई नहीं बचता!
ऑनलाइन शॉपिंग = एक्स्ट्रा टैक्स
ऑनलाइन शॉपिंग में भी वही GST रेट लागू होते हैं। लेकिन डिलीवरी फीस और प्लेटफॉर्म चार्ज पर अलग से 18% GST लगता है।
उदाहरण:
999 रुपये की शर्ट पर 5% टैक्स
100 रुपये की डिलीवरी पर 18% टैक्स
यानी ऑनलाइन खरीदारी में कीमत की तुलना में थोड़ा और स्मार्ट प्लानिंग जरूरी है।