फिर कहते हो नाम क्यों पूछना?’ – जानिए तजम्मुल और उनके ‘पंडित जी ढाबा’ की अनोखी कहानी!”

मुज़्ज़फ़्फ़रनगर न्यूज़-3 जुलाई: ढाबों पर असली नाम की नेमप्लेट अनिवार्य: मुजफ्फरनगर विवाद से उठा सवाल
हाल ही में मुजफ्फरनगर में एक ढाबे को लेकर विवाद सामने आया है, जहां आरोप लगाया गया कि “पंडित जी वैष्णो ढाबा” नामक एक होटल में कुछ कर्मचारी अपनी असली पहचान छिपाकर काम कर रहे थे। इस मामले ने कांवड़ यात्रा से पहले धार्मिक विश्वास और पारदर्शिता को लेकर बहस को जन्म दिया है।

सरकार ने कांवड़ मार्ग पर स्थित ढाबों, रेस्टोरेंट, ठेला व रेहड़ी वालों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर असली नाम की नेमप्लेट लगाएं। इस कदम का उद्देश्य यात्रियों को भोजन की गुणवत्ता और विक्रेताओं की पहचान के बारे में स्पष्ट जानकारी देना है, जिससे किसी प्रकार की गलतफहमी या धोखे से बचा जा सके।

मुजफ्फरनगर के ढाबे का मामला इसी पृष्ठभूमि में सामने आया है। बताया गया कि ढाबे की रजिस्टर्ड मालकिन दीक्षा शर्मा हैं, लेकिन वहां कार्यरत एक कर्मचारी ने अपनी पहचान “गोपाल” के रूप में दी, जबकि बाद में उसकी धार्मिक पहचान को लेकर सवाल उठे।

सरकार की यह पहल किसी समुदाय को लक्षित करने के लिए नहीं है, बल्कि यह पारदर्शिता और उपभोक्ताओं की जानकारी के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए है।

इस तरह के मामलों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि उपभोक्ताओं और श्रद्धालुओं की भावनाओं और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए भोजन परोसने वाले प्रतिष्ठानों में पारदर्शिता जरूरी है।

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