चंडीगढ़ न्यूज़-5 जुलाई: कन्नप्पा’ रिव्यू: शिवभक्ति की अद्भुत गाथा, क्लाइमैक्स में भरपूर भावनाएं
विष्णु मांचू, प्रभास, मोहनलाल, अक्षय कुमार, काजल अग्रवाल और मोहन बाबू जैसे दिग्गज कलाकारों से सजी बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘कन्नप्पा’ आखिरकार 27 जून को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। यह एक तेलुगु माइथोलॉजिकल डिवोशनल फिल्म है, जो भगवान शिव के परम भक्त कन्नप्पा की कथा पर आधारित है। फिल्म का निर्देशन मुकेश कुमार सिंह ने किया है और इसे विष्णु मांचू ने लिखा तथा मोहन बाबू ने प्रोड्यूस किया है।
कहानी की बात करें तो, यह एक आदिवासी युवक थिनाडू (विष्णु मांचू) की यात्रा है, जो एक नास्तिक से शिवभक्त कन्नप्पा बनने तक के सफर को दर्शाती है। फिल्म का पहला भाग थोड़ा धीमा चलता है, जिससे कुछ जगहों पर कहानी बिखरी-बिखरी लगती है। लेकिन जैसे ही फिल्म दूसरे भाग में प्रवेश करती है, यह दर्शकों को बांधने लगती है।
असली दम फिल्म के आखिरी 40 मिनट में है, खासतौर पर भावनात्मक क्लाइमैक्स में, जो दर्शकों को गहराई से प्रभावित करता है। प्रभास द्वारा निभाया गया रुद्र का किरदार क्लाइमैक्स से पहले अच्छी तरह से प्रस्तुत किया गया है।
तकनीकी पक्ष की बात करें तो, वीएफएक्स खासतौर पर क्लाइमैक्स में प्रभावशाली है। गाने और लोकेशन्स दर्शनीय हैं, लेकिन संवादों में भावनात्मक पकड़ की थोड़ी कमी है। युवा थिनाडू की भूमिका में विष्णु मांचू के बेटे नजर आए हैं, लेकिन उनकी डबिंग थोड़ी कमजोर रही।
मोहनलाल, मोहन बाबू, शरत कुमार, अक्षय कुमार और काजल अग्रवाल अपने-अपने किरदारों में फिट नजर आते हैं। भगवान शिव और पार्वती के रूप में अक्षय और काजल ने अच्छा अभिनय किया है।
निर्णय: फिल्म की प्रोडक्शन क्वालिटी औसत से बेहतर है और इतने बड़े कलाकारों की मौजूदगी इसे देखने लायक बनाती है। ‘कन्नप्पा’ एक फैमिली एंटरटेनर है जिसे धार्मिक भावना और भक्ति के साथ जोड़ा गया है।
रेटिंग: ⭐⭐⭐ (3/5)
अगर आप माइथोलॉजिकल और भक्ति प्रधान सिनेमा के शौकीन हैं, तो यह फिल्म आपके लिए है।