JNU में वेज-नॉनवेज खाने के लिए अलग व्यवस्था का नोटिस वापस, छात्रों ने बताया ‘विभाजनकारी’ कदम
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के माही-मांडवी हॉस्टल में वेजिटेरियन और नॉन-वेजिटेरियन खाने के लिए अलग-अलग जगह तय करने को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। 28 जुलाई 2025 को हॉस्टल में एक नोटिस जारी किया गया था, जिसमें मेस में भोजन की व्यवस्था को खाने की प्राथमिकता के आधार पर अलग करने का निर्देश दिया गया था।
JNU स्टूडेंट्स यूनियन (JNUSU) ने इस नोटिस को विश्वविद्यालय की समावेशी संस्कृति के खिलाफ बताते हुए तीखा विरोध जताया। यूनियन ने इसे “छात्रों को बांटने की साजिश” और “समावेशिता पर हमला” करार दिया। यूनियन का आरोप है कि यह कदम ABVP के “भगवाकरण एजेंडा” का हिस्सा है, जिसका मकसद कैंपस में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करना है।
JNUSU ने मामले में सीनियर वार्डन से संपर्क किया, जिन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें इस फैसले की कोई जानकारी नहीं थी और उन्होंने तत्काल जांच का आश्वासन दिया। वार्डन ने इस पूरे घटनाक्रम की जांच के लिए एक समिति गठित करने की घोषणा की है। यह समिति यह पता लगाएगी कि क्या मेस सचिव, मेस मैनेजर या हॉस्टल अध्यक्ष की ओर से यह नीति लागू करने की कोशिश की गई थी।
छात्रों के भारी विरोध के बाद विवादास्पद नोटिस को वापस ले लिया गया है। यूनियन ने साफ किया है कि जेएनयू में अब तक कभी भी ‘फूड पुलिसिंग’ नहीं हुई है, और यह नई व्यवस्था छात्रों को धर्म और पसंद के आधार पर बांटने की कोशिश थी।
फिलहाल दिल्ली पुलिस को इस मामले में कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली है, लेकिन जेएनयू कैंपस में इस मुद्दे को लेकर माहौल गर्म है। यह घटना एक बार फिर विश्वविद्यालय की समावेशी पहचान और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर बहस को हवा दे रही है।