‘भारत ने रूस से तेल खरीदना नहीं रोका’ – ट्रंप के दावे पर बड़ा अपडेट

भारत ने रूस से तेल खरीदना नहीं रोका, ट्रंप के बयान के बीच अहम अपडेट

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे के बीच कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा, बड़ा अपडेट सामने आया है। सूत्रों ने बताया कि भारत फिलहाल रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा। यह फैसला मूल्य, गुणवत्ता, लॉजिस्टिक्स और आर्थिक कारणों के आधार पर लिया गया है।

गौरतलब है कि जब भारत रूस से तेल आयात कर रहा था, उसी दौरान यूरोपीय संघ रूस की तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) का सबसे बड़ा खरीदार बना हुआ था। यूरोपीय यूनियन ने रूस के एलएनजी निर्यात का 51% हिस्सा खरीदा, जबकि चीन और जापान क्रमशः 21% और 18% हिस्सेदारी के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।

ट्रंप ने भारत पर लगाया टैरिफ, फिर किया दावा

30 जुलाई को डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया था, जो 1 अगस्त से लागू होना था। हालांकि बाद में इसे 7 अगस्त तक के लिए टाल दिया गया। ट्रंप सरकार का आरोप था कि भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने से रूस को आर्थिक मदद मिल रही है, जिससे वह यूक्रेन युद्ध जारी रख पा रहा है।

इसके बाद ट्रंप ने बयान दिया, “मेरी समझ के अनुसार भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। मुझे नहीं पता यह कितना सच है, लेकिन यह अच्छा कदम हो सकता है।”

भारत का जवाब – फैसला वैश्विक बाजार की स्थिति पर आधारित

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हम अपने निर्णय अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थितियों और उपलब्धता के आधार पर लेते हैं। जहां तक तेल न खरीदने की बात है, ऐसी कोई जानकारी मेरे पास नहीं है।”

रूस: दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक

रूस प्रतिदिन करीब 9.5 मिलियन बैरल कच्चा तेल पैदा करता है और यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश भी है। 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद वैश्विक बाजार में तेल की कीमतें अस्थिर हो गई थीं और कच्चे तेल का दाम 137 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था। इस परिस्थिति में भारत ने रियायती दरों पर रूसी तेल खरीदकर न केवल अपने ऊर्जा हितों की रक्षा की, बल्कि वैश्विक तेल कीमतों को नियंत्रित रखने में भी योगदान दिया।

‘भारत की खरीद पूरी तरह वैध और जिम्मेदाराना’

एएनआई को सरकारी सूत्रों ने बताया कि रूस से तेल खरीद अंतरराष्ट्रीय नियमों और G7/ईयू मूल्य सीमा तंत्र के तहत की जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर भारत उस वक्त रूसी तेल नहीं खरीदता, तो वैश्विक कीमतें और अधिक बढ़ सकती थीं। भारत, जो अपनी जरूरत का करीब 85% तेल आयात करता है, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है।

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