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नामांकन को आखिरी दो दिन, कतार में भाजपा-कांग्रेस नेता

नामांकन को आखिरी दो दिन, कतार में भाजपा-कांग्रेस नेता

विनोद सुल्तानपुरी आज भरेंगे परचा; सीएम सुक्खू, प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह और सभी मंत्री रहेंगे मौजूद, पांच मंत्रियों-तीन सीपीएस पर भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी

लोकसभा चुनाव में नामांकन को अब दो ही दिन बाकी बचे हैं और इस दौरान प्रदेश भर में बड़ी तादाद में नामांकन दाखिल करने वालों की भीड़ निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में जुटने की संभावना है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों में अब भीड़ जुटाने की स्पर्धा शुरू हो गई है। कांग्रेस की तरफ से मंडी, कांगड़ा और हमीरपुर में नामांकन पहले ही दाखिल हो चुके हैं। जबकि अब शिमला में नामांकन दाखिल होना है और यहां से कांग्रेस की तरफ से विनोद सुल्तानपुरी मैदान में हैं।

खास बात यह है कि कांग्रेस ने शिमला संसदीय क्षेत्र से पांच मंत्रियों और तीन सीपीएस को भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी सौंपी है। कांग्रेस के नामांकन में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह समेत सभी मंत्री शामिल होंगे। गौरतलब है कि कांग्रेस को हिमाचल में लोकसभा की चार में से दो टिकटों पर फैसला करने में कोई परेशानी नहीं हुई थी। शिमला और मंडी के टिकट सबसे पहले तय हो गए थे। इनमें से मंडी में पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह नामांकन दाखिल कर चुके हैं।

जबकि शिमला में नामांकन का समय गुजरने से ठीक एक दिन पहले विनोद सुल्तानपुरी नामांकन दाखिल करने जा रहे हैं। विनोद सुल्तानपुरी का इस सीट पर मुकाबला भाजपा के मौजूदा सांसद सुरेश कश्यप से होने वाला है। शिमला संसदीय सीट पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डा. राजीव बिंदल की रणनीति भी दांव पर लगी हुई है।

दरअसल, राजीव बिंदल इसी संसदीय क्षेत्र से आते हैं। डा. राजीव बिंदल इस सीट पर लगातार रणनीतिक फैसले ले रहे हैं जबकि यहां कांग्रेस की रणनीति शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर और मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी के हाथ में है। बहरहाल, नामांकन दाखिल होने के बाद प्रचार में तेजी आएगी और देखना यह है कि इस बार कौन सी पार्टी किस पर भारी साबित होती है।

सुरेश कश्यप की चुनौती से पाना होगा पार

कांग्रेस ने इस सीट पर ज्यादातर चुनाव मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल के सहारे ही लड़े हैं। 2014 में मौजूदा सीपीएस मोहनलाल ब्राक्टा को उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन इस बार कांग्रेस ने चेहरा बदल दिया है। जबकि भाजपा ने मौजूदा सांसद सुरेश कश्यप पर ही भरोसा जताया है। 1980 से 1998 तक शिमला की सत्ता संभालते रहे केडी सुल्तानपुरी के बेटे और कसौली से विधायक विनोद सुल्तानपुरी को टिकट दिया गया है।

विनोद सुल्तानपुरी के प्रचार में मुख्यमंत्री समेत सभी मंत्रियों ने पूरी ताकत झोंक दी है। शिमला संसदीय सीट से शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर को प्रभारी बनाया गया है। जबकि नियमित तौर पर किलेबंदी का भी प्रयास कर रहे हैं।

कांग्रेस के गढ़ में भाजपा की पताका

शिमला संसदीय क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है। 17 विधानसभा क्षेत्रों वाले शिमला संसदीय क्षेत्र में सर्वाधिक 13 सीटें कांग्रेस के पास हैं। इनमें से पांच मंत्री हैं तो तीन विधायकों को सीपीएस बनाया गया है, लेकिन बीते 15 सालों से यहां कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाया है। यहां कांग्रेस की आखिरी जीत 2004 में दर्ज की थी। इसके बाद भाजपा के वीरेंद्र कश्यप ने 2009 में 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल कर जीत दर्ज की तो 2014 में उन्हें इस सीट पर 52 फीसदी वोट मिले थे।

2014 में कांग्रेस के वोट शेयर में 5.10 फीसदी की कमी आई थी। जबकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री थी। 2019 में भाजपा के वोट शेयर में बड़ा उछाल देखने को मिला और इस दौरान भाजपा का वोट शेयर 66.35 फीसदी पहुंच गया। जबकि कांग्रेस के वोट शेयर में 10.39 फीसदी की कमी देखने को मिली थी।

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